कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। पर उस चाहत की राह के गुण तभी गाने चाहिए जब खुद को साबित करने की क्षमता हो। वरना फिर वही बात हो जाती है कि, “अधजल गागरी छलकत जाए”। इतने सालों की मेहनत और अभ्यास के बाद, अब मैं ये कह सकती हूँ कि मैं हिंदी भाषा के क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ खड़ी हूँ। मुझे उम्मीद है आपको पसंद आएगा!
कई सालों पहले साहिर लुधियानवी जी ने लिखा था, “कभी-कभी मेरे दिल मे खयाल आता है”। पर मुझे तो रोज़ ही कोई न कोई खयाल आता है। कुछ बताने लायक होते हैं, कुछ नहीं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो मन को एक सफर पर ले जाते हैं, जहाँ समझना मुश्किल हो जाता है कि ये सफर हिन्दी वाला है या अंग्रेजी वाला। पिछले दिनों एक ऐसा ही खयाल आया मुझे, जो मैं आज सब के साथ बाँटना चाहती हूँ। अच्छा लगे तो comments में बताइए।

एक समय था ऐसा भी,
जब समय बिताने के लिए काम करते।
अब एक ऐसा समय आया है,
जो बीत जाता है पर काम नहीं बनते।
जब खेलने का मौका था रोज़,
पूछते थे ये बचपन बीतेगा कब।
अब काम का है सिर पर बोझ,
सोचते हैं क्यों बचपन नहीं लोटता अब।
जीवन का सार यही रह गया है,
कि झूठा दिलासा दिए जा रहे हैं।
“बस ये काम बन जाए”
रोज़ नई उम्मीद लगाए जा रहे हैं।
क्या करें? इंसान ही तो हैं,
उम्मीद के अलावा क्या लगा सकते हैं?
मगर किसी भी स्तिथि मे ये भूल जाते हैं,
कि हम लगाने के लिए दिमाग भी रखते हैं।
प्रेम, कर्म, मन, भाग्य,
ये कभी भी छूट जाते हैं।
नहीं छोड़ने हैं तो बस बुद्धि, चेतना, और ज्ञान,
क्योंकि यही हमें अंत तक बचाते हैं।
बीता हुआ समय वापस आएगा नहीं,
और आने वाला समय जाने क्या लाएगा।
यही सोच-सोचकर बैठे रहे अगर आज,
तो ये पल भी जीने से पहले निकल जाएगा।
– R. प्रिया
सोच ऐसी रखो कि उसे समझने के लिए ही लोगों को अलग से एक हाथ लगे! क्या लगता है आपको?

Be Priyafied!
Discover more from Priyafied
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने वो भी तब जबकि आप तमिल भाषी हैं और हिंदी आपकी थर्ड या फोर्थ लैंग्वेज होगी!! और आपने बिल्कुल सही कहा की जहाँ चाह होती है वहीं राह होती है.. पर हमारी चाहत में दम खम होना चाहिये की हम जो चाहें वो कर लें, वो पा लें!! और आपकी कविता तो एकदम उत्कृष्ट है!! मतलब उसमें लिखी बातें बहुत सही हैं.. जब हम छोटे होते हैं तो जल्दी बड़े होने का ख्वाब देखते हैं और जब बड़े हो जाते हैं तो शिकायत रहती है की बचपन जैसी स्वच्छंदता क्यों नहीं मिल रही….. बचपन तो जीवन में सिर्फ एक ही बार आता है.. वो बार बार थोड़ी आयेगा.. इसलिए बेहतर है की किसी विशेष वक्त या समय का हम इंतजार ना करें और जो आज हमारे पास है उसे जी भरकर जी लें!!
LikeLiked by 1 person
बहुत – बहुत धन्यवाद!
LikeLiked by 1 person
प्रिय प्रिया, भारत विविधताओं का देश है जिसमें विभिन्न प्रकार की बोलियां या भाषाएं बोली जाती हैं, आपका यह प्रयास जिसमें आपने हिंदी भाषा में कविता लिखी है सराहनीय है क्योंकि आपकी मातृभाषा तमिल है। हम आपसे आशा करते हैं भविष्य में आप सभी विषयों पर भी अपनी टिप्पणी या लेखन अपने प्रशंसा को के सम्मुख प्रस्तुत करते रहेंगे, धन्यवाद🙏।
LikeLiked by 1 person
😅 धन्यवाद
LikeLike