स्वागत है प्रिया-फ़ाइड हिन्दी मे! मैं बहुत सालों से हिन्दी में भी लिखती आई हूँ, लेकिन कभी दुनिया से बांटने का खयाल नहीं आया। कल ही मेरी नज़र अपनी एक कविता पर पड़ी – “किस्मत कभी नहीं सोएगी”। ये मैंने कई साल पहले लिखी थी और उसमें एक पंक्ति में मैंने लिखा था की “तनाव लेकर करना क्या, जब सच्चे हो तो डरना क्या”। ये पढ़के मुझे लगा कि मैं अपने आप को अंग्रेजी भाषा में क्यूँ बांध रही हूँ, जबकि मैं कई और भाषाएं जानती हूँ। आप मेरी हिन्दी की कविताएं, गद्य और अन्य लेख इस पेज पर पाएंगे।
कहते हैं की जहाँ चाह, वहाँ राह। पर उस चाहत की राह के गुण तभी गाने चाहिए जब खुद को साबित करने की क्षमता हो। वरना फिर वही बात हो जाती है कि, “अधजल गागरी छलकत जाए”। इतने सालों की मेहनत और अभ्यास के बाद, अब मैं ये कह सकती हूँ कि मैं हिंदी भाषा के क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ खड़ी हूँ। मुझे उम्मीद है आपको पसंद आएगा!
कविता
एक समय ऐसा भी
जिसे कभी-कभी नहीं, रोज़ ही कोई खयाल आता हो, उससे कभी सपनों के बारे मे पूछना। अतरंगी जवाब न मिले, ऐसा हो ही नहीं सकता। आज का ये मेरा खयाल ऐसे ही सोच के कुएँ से निकला है।
संवेदना 101
कुछ अनुभव, कुछ संघर्ष, कुछ विचार — मिश्रण में मिली एक संवेदना, एक पड़ाव, एक दिशा। चलो, अब चलते हैं।

