कुछ अनुभव, कुछ संघर्ष, कुछ विचार — मिश्रण में मिली एक संवेदना, एक पड़ाव, एक दिशा। चलो, अब चलते हैं।
सही और गलत से दूर,
सुंदर, एकांत, और शांति भरपूर।
मन की शांति के लिए बहुत पैर थकाए,
फिर एक दिन ठहराव से ही धीरता समझ पाए।
लगने लगा जीवन ही है कर्मकांड,
मन में झांका, शून्य में भी दिखा ब्रह्मांड।
काम न आए कहना, सुनना, और समझना,
और सोचने से मिली सिर्फ़ विदंभना।
आंखों से जो सत्य रहा ओझल,
मन की आंखों से दिखा प्रबल।
एक से शून्य और शून्य से एक,
अपने आप में समेटे हैं रहस्य अनेक।
रहस्य क्या है, वो हमें ही है परखना,
सत्य की ऊर्जा में तभी होगा चमकना।
समय से समय के साथ जीवन चलेगा,
तो अपना समय बदलते समय नहीं लगेगा।
जहां बुद्धि ने उठाए प्रश्न,
वहीं मन ने पुकारा कृष्ण।
जहां समझे बुद्धिमानी की सीमा का अंत,
वहीं शिष्य बन कर मिला ज्ञान अनंत।
ज्ञान वही जो खुद को ऊपर उठाए,
व्यर्थ हो जाए जब अहंकार दूसरों को नीचे गिराए।
जिसमें है समझ, वो समझे बिन पढ़े,
जो पढ़कर भी न समझे, उसे क्या ही कहें।
ये चेतना जीवन में तब फलेगी,
जब सही दिशा आगे पंक्तियों में मिलेगी।
गहराइयों में उतरता गया जब विचारों से थका मन,
ओझल रहा जबकि साफ़ था सामने का दर्पण।
वंचित रहा उत्तर, सब प्रश्न हुए व्यर्थ,
इच्छाओं से मुक्ति पाने का विवेक ने समझाया अर्थ।
न्योछावर किया स्वयं को जिस राह पे बढ़ना है आगे,
दर्पण वो साफ़ हुआ जब मन में संवेदना जागे।
आत्मा से अहम के जब छूटे धागे।
क्या समझे? Be Priyafied!
Discover more from Priyafied
Subscribe to get the latest posts sent to your email.

